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Tuesday 11 June 2013

"O great one,
Journey from self to Self
and find the mine of gold.
Leave behind what is sour and bitter –
move toward what is sweet.
... Be like the thousand different fruits
that grow from briny soil."



हे महान !
 यात्रा अपने से अपनी
औ खोजना स्वर्ण की निधि .
छोडो पीछे कडुवी यादें
 बढ़ो आगे अमर मधु की ओर..
बनो ...मीठे फलों से ...
उगते जो खारी धरा से

Photo: बहुत खूबसूरत...प्राकृतिक नूर से भरपूर है यहाँ की वादियाँ...जीवन से साक्षात्कार करवाती पानी की बूदें...हर बूँद में समाहित एक अद्भुत रहस्य !..बहुत सुखद जीवन के भीड़-भाड़ से आप-धापी से पृथक. अकेले...नितांत अकेले...जहां सिर्फ सत्य बोलता है...दुनिया..रिश्तों के झूठे एहसासों से परे..ईश्वरीय स्नेह बहुत सुकून देता है...यहाँ..नेत्रों को बंद करूं .तो जीवित हो उठते है वो पल..जिन्हें जीती हूँ मै यहाँ ख़ुद में प्रकृति, प्रकृति के साथ..आह इसका अपना अलग आनंद है...! <3

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