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Wednesday, 12 February 2014

पारदर्शी स्वप्न

We were green: we ripened and grew golden.
The Sea terrified us: we learned how to drown.
Squat and earthbound, we unfolded huge wings.
We started sober: are love's startled drunkards.
...
You hide me in your cloak of nothingness
Reflect my ghost in your glass of being
I am nothing, yet appear: transparent dream
Where your eternity briefly trembles.

हरे थे हम : पके फिर चमके सुनहरे बन
 सिंधु ने हमको डराया : सीखा डूब जाना  हमने
बैठ  धरती से जुड़े , खोले हमने पांख अपने
होश में थे चले हम: लड़खड़ाते नशे में प्यार के अब 

छुपाया तूने मुझे शून्यमय आँचल  में अपने
 दिखाते साये सा अस्तित्व मेरा, पारदर्शी अपने जहाँ में
मैं नहीं कुछ ,पर हूँ दिखता: पारदर्शी स्वप्न सा
जिस के अंदर अमरता तेरी कांपती क्षण  भर केवल BUONA SERATA <3

 

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