जैसे तिल में तेल है, ज्यों चकमक में आग|तेरा साईं तुझ में है, तू जाग सके तो जाग||जब में था हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।सब अंधियारा मिटी गया, जब दीपक देख्या माहिं ॥- कबीर
जैसे तिल में तेल है, ज्यों चकमक में आग|
ReplyDeleteतेरा साईं तुझ में है, तू जाग सके तो जाग||
जब में था हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
सब अंधियारा मिटी गया, जब दीपक देख्या माहिं ॥
- कबीर