I was dead
I came alive
I was tears
I became laughter..
all because of love
when it arrived
my temporal life
from then on
changed to eternal..
love said to me
you are not
crazy enough
you don't
fit this house..
I went and
became crazy
crazy enough
to be in chains...
love said
you are not
intoxicated enough
you don't
fit the group...
I went and
got drunk
drunk enough
to overflow
with light-headedness..
love said
you are still
too clever
filled with
imagination and skepticism..
I went and
became gullible
and in fright
pulled away
from it all.
love said
you are a candle
attracting everyone
gathering every one
around you...
I am no more
a candle spreading light
I gather no more crowds
and like smoke
I am all scattered now..
love said
you are a teacher
you are a head
and for everyone
you are a leader....
I am no more
not a teacher
not a leader
just a servant
to your wishes...
love said
you already have
your own wings
I will not give you
more feathers....
and then my heart
pulled itself apart
and filled to the brim
with a new light
overflowed with fresh life...
now when the heavens
are thankful that
because of love
I have become
the giver of light...
मृतक था मैं
हुआ जीवित
अश्रु था मैं
बना हास्य ..
प्रेम के कारण
आया जब यह
ज़मीनी अस्तित्व मेरा
तभी से
हुआ शाश्वत अमर ..
..प्रेम बोला -
नहीं हो तुम
डूबे पूरे ..
नहीं हो लायक
रहने के यहाँ .....
बढ़ा मैं और
हुआ पागल
इतना पागल
जैसे जकड़ा बंदी
प्रेम बोला -
नहीं हो तुम
नशे में पूरे ..
नहीं हो लायक
स्ंग रहने हमारे ..
बढ़ा मैं और
पी छक के
इतनी पी कि
लगी बहने
हल्का हुआ सर ....
प्रेम बोला
अभी भी तुम
चतुर बनते
भरे हो
कल्पना ,संशय से
बढ़ा मैं और
हुआ तत्पर खाने को धोखा
और भय से
भागा फिर
इन सभी से परे ...
प्रेम बोला -
मोमबत्ती हो तुम
खींचते सब को
जुटाते सब को
चारों और अपने
नहीं हूँ मैं अब
मोमबत्ती जो देती प्रकाश
जुटाता नहीं हूँ भीड़ अब
और धुएँ सा
बिखर हूँ चुका अब ...
प्रेम बोला -
तुम हो शिक्षक
गुरु हो तुम
और सब के लिए
हो मार्ग दर्शक ...
मैं नहीं हूँ अब...
ना ही शिक्षक
मार्ग दर्शक ना
मात्र सेवक तुच्छ
तेरी ख्वाहिशों का ...
प्रेम बोला -
पास तो हैं तुम्हारे
पाँख अपने
मैं नहीं तुमको दूंगा
पँख इससे अधिक
तब ह्रदय मेरा
फटा अनायास जैसे
भरा लबालब और फिर
एक ज्योति से नयी
उमड़ा जीवन नया सा
अब ज्यूँ आकाश भी
हो कृतज्ञ क्यूँ कि
प्रेम के कारण
हुआ हूँ मैं
स्त्रोत ज्योति का ....
I came alive
I was tears
I became laughter..
all because of love
when it arrived
my temporal life
from then on
changed to eternal..
love said to me
you are not
crazy enough
you don't
fit this house..
I went and
became crazy
crazy enough
to be in chains...
love said
you are not
intoxicated enough
you don't
fit the group...
I went and
got drunk
drunk enough
to overflow
with light-headedness..
love said
you are still
too clever
filled with
imagination and skepticism..
I went and
became gullible
and in fright
pulled away
from it all.
love said
you are a candle
attracting everyone
gathering every one
around you...
I am no more
a candle spreading light
I gather no more crowds
and like smoke
I am all scattered now..
love said
you are a teacher
you are a head
and for everyone
you are a leader....
I am no more
not a teacher
not a leader
just a servant
to your wishes...
love said
you already have
your own wings
I will not give you
more feathers....
and then my heart
pulled itself apart
and filled to the brim
with a new light
overflowed with fresh life...
now when the heavens
are thankful that
because of love
I have become
the giver of light...
मृतक था मैं
हुआ जीवित
अश्रु था मैं
बना हास्य ..
प्रेम के कारण
आया जब यह
ज़मीनी अस्तित्व मेरा
तभी से
हुआ शाश्वत अमर ..
..प्रेम बोला -
नहीं हो तुम
डूबे पूरे ..
नहीं हो लायक
रहने के यहाँ .....
बढ़ा मैं और
हुआ पागल
इतना पागल
जैसे जकड़ा बंदी
प्रेम बोला -
नहीं हो तुम
नशे में पूरे ..
नहीं हो लायक
स्ंग रहने हमारे ..
बढ़ा मैं और
पी छक के
इतनी पी कि
लगी बहने
हल्का हुआ सर ....
प्रेम बोला
अभी भी तुम
चतुर बनते
भरे हो
कल्पना ,संशय से
बढ़ा मैं और
हुआ तत्पर खाने को धोखा
और भय से
भागा फिर
इन सभी से परे ...
प्रेम बोला -
मोमबत्ती हो तुम
खींचते सब को
जुटाते सब को
चारों और अपने
नहीं हूँ मैं अब
मोमबत्ती जो देती प्रकाश
जुटाता नहीं हूँ भीड़ अब
और धुएँ सा
बिखर हूँ चुका अब ...
प्रेम बोला -
तुम हो शिक्षक
गुरु हो तुम
और सब के लिए
हो मार्ग दर्शक ...
मैं नहीं हूँ अब...
ना ही शिक्षक
मार्ग दर्शक ना
मात्र सेवक तुच्छ
तेरी ख्वाहिशों का ...
प्रेम बोला -
पास तो हैं तुम्हारे
पाँख अपने
मैं नहीं तुमको दूंगा
पँख इससे अधिक
तब ह्रदय मेरा
फटा अनायास जैसे
भरा लबालब और फिर
एक ज्योति से नयी
उमड़ा जीवन नया सा
अब ज्यूँ आकाश भी
हो कृतज्ञ क्यूँ कि
प्रेम के कारण
हुआ हूँ मैं
स्त्रोत ज्योति का ....
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