Rumi in hindi
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Sunday, 18 August 2013
पीड़ा गुप्त
जब अन्तर्तम की कोमलता
पाती पीड़ा गुप्त
वेदना तोड़ फाड़ेगी गिरि
आह ! उभरने दो आत्मा को तब
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