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Thursday, 29 November 2012
I Close my Lips,
I wait for you to come and open them.~ Rumii♥
अधर ..अविचल कर दिए मैंने
देखता राह, तू इनको जिलादे/
or
अधर हैं बंद ताले जैसे मेरे
प्रतीक्षा है तेरी तू खोल ताले
I took a vow of silence
and my tongue is tied.
yet still
I m the speaker without a speech tonight~ Rumii♥
हूँ प्रतिज्ञ मौन धारे,
जिह्वया निश्छल .
वक्ता हूँ वाणी बिना फिर भी निशा में.
Anyone who knows me,
should learn to know me again;
For I am like the Moon,
you will see me with new face every day...!!
~ रूमी
जो मुझे जाने ,
उसे जानना है शेष फिर भी,
चाँद सा हूँ मैं ,
बदलता रूप प्रति दिन !
Not the ones speaking the same language,
but the ones sharing the same feeling understand each other.
वे नहीं जो बोलते हैं एक भाषा ,
समझते एक दूसरे को वे,जो भावों से जुड़े हैं .
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